Saturday, 19 April 2014

तेरी सोच और इरादों को रोंदना मुझे आता है,
चलती हवाओं और नदियों के बहाओं को मोड़ना मुझे आता है,
तू ये सोच की तेरा मेरे आगे क्या अंजाम होगा,
क्योंकि कश्तियाँ तूफ़ान से घबराती है, तूफ़ान कश्तियों से नहीं,
और तूफ़ान को बहकाना आता है,मुझे.....
आपका स्नेहकांक्षी-
Ramswroop Meena
छात्रनेता राजस्थान विश्वविद्यालय
9529428073,8003378073
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